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🌿 जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और मानसिक शांति पाने की कला..

 🌿 जीवन के हर क्षेत्र में संतुलन और मानसिक शांति पाने की कला.. आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में तनाव एक अस्थायी अनुभव नहीं रह गया है, बल्कि यह हमारे जीवन का एक स्थायी हिस्सा बन चुका है। चाहे बात पढ़ाई की हो, नौकरी की, व्यवसाय की या पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों की — हर मोर्चे पर दबाव बढ़ता जा रहा है। लेकिन यह जानना ज़रूरी है कि: ❝ तनाव को पूरी तरह समाप्त करना शायद संभव न हो, लेकिन उसे समझदारी से प्रबंधित (Manage) करना और जीवन में संतुलन और शांति बनाए रखना अवश्य संभव है। ❞ इस लेख में हम जानेंगे कि जीवन के 12 प्रमुख क्षेत्रों में तनाव कैसे पैदा होता है और उसे प्रभावी ढंग से कैसे कम किया जा सकता है। 1️⃣ शैक्षणिक जीवन में तनाव (Academic/Educational life Stress) 🔹 तनाव के कारण: परीक्षा और असाइनमेंट का बोझ टॉप करने की प्रतिस्पर्धा माता-पिता और समाज की अपेक्षाएँ 🔸 समाधान: समय प्रबंधन: एक प्रैक्टिकल टाइमटेबल बनाएं और उसमें छोटे-छोटे लक्ष्य रखें। तकनीक: 25 मिनट पढ़ाई + 5 मिनट ब्रेक से मानसिक थकावट कम होती है। दबाव में न आएं: ग्रेड्स ज़रूरी हैं, लेकिन वे आपकी पूरी पहचान नहीं हैं। सहायता...

मानव प्रवृत्ति बनाम तकनीक

मानव प्रवृत्ति बनाम तकनीक: जब प्रभुत्व की भूख पर तकनीक हावी होने लगी मनुष्य की मूल प्रवृत्ति रही है — दूसरों पर हावी होने की। इतिहास गवाह है कि इंसान ने सत्ता, ताकत, धर्म, जाति, संसाधनों और विचारधाराओं के माध्यम से एक-दूसरे पर प्रभुत्व जमाने की कोशिश की। लेकिन अब कहानी पलट रही है। जिस तकनीक को इंसान ने अपने फायदे के लिए बनाया, वही तकनीक अब धीरे-धीरे इंसान की सोच, आदतों, और फैसलों पर नियंत्रण करने लगी है। यानी अब तकनीक, इंसानी प्रवृत्तियों पर हावी होने लगी है। 1. जब इंसान प्रभुत्व चाहता था… इतिहास में: राजा और सम्राट अपने साम्राज्य का विस्तार कर दूसरों को गुलाम बनाते थे। आधुनिक समाज में: राजनीतिक नेता, कॉरपोरेट कंपनियाँ, और यहां तक कि सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर भी दूसरों की सोच को नियंत्रित करने की कोशिश करते हैं। घर-परिवार में: उम्र, लिंग और भूमिका के आधार पर एक-दूसरे पर नियंत्रण की प्रवृत्ति पाई जाती है। इंसान की यह प्रवृत्ति हमेशा से रही है — 'मैं श्रेष्ठ हूँ, मुझे सुनो, मेरा अनुसरण करो।' 2. और अब तकनीक कर रही है वही काम… पर और भी गहराई से सोशल मीडिया एल्गोरिद्म: आपको वही दिखाता...

📸 2000 के बाद जन्मी पीढ़ी — Digital First, Reality Later…

 📸 2000 के बाद जन्मी पीढ़ी — Digital First, Reality Later 📱 स्क्रीन ही दुनिया है इस पीढ़ी की पहली दोस्ती मोबाइल से होती है। बचपन से ही YouTube, Netflix, और Instagram का exposure। खेलने के लिए ग्राउंड नहीं — PUBG, Free Fire, Minecraft और Roblox हैं। 🧠 Information का overload कोई सवाल आया? “Hey Google” या “ChatGPT” से जवाब मिल जाता है। किताबें कम, स्क्रीन ज़्यादा। Gen Z ने खुद से सोचना नहीं छोड़ा — लेकिन अब options बहुत ज़्यादा हैं। 🧒🏻 बचपन बदल गया है खिलौने हैं, लेकिन खेलते वर्चुअल दुनिया में हैं। माटी, धूल, पेड़ — अब बस science project का हिस्सा हैं। Indoor प्ले ज़ोन और Soft Play Areas असली खेलने की जगह बन गए। 🎧 मनोरंजन हर जेब में Netflix, Prime, Spotify, YouTube Shorts — nonstop content। फिल्मों के dialogues और गानों के lyrics Reels में viral होते हैं, असल ज़िंदगी में नहीं। नया “क्लासिक” वही है जो ट्रेंडिंग पेज पर आता है। 📷 जज़्बात इमोजी में बदल गए 😢, 😂, ❤️ — हर भावना का एक symbol है। बातें लंबी नहीं होतीं — memes में जवाब मिलते हैं। "Seen" हो गया मतलब जवाब दे दिया ...

📸 1980 से 2000 की पीढ़ी — बदलाव के पुल पर चलती एक जिंदादिल पीढ़ी…

 📸 1980 से 2000 की पीढ़ी — बदलाव के पुल पर चलती एक जिंदादिल पीढ़ी 📺 टेक्नोलॉजी ने दस्तक दी, लेकिन दिल अब भी सादा था ब्लैक एंड व्हाइट टीवी से शुरू होकर कलर टीवी तक पहुँचे। रविवार का “रामायण”, “महाभारत” और “चित्रहार” हर घर में त्योहार जैसा होता था। केबल टीवी आया, MTV आया — और म्यूजिक ने नया रंग पकड़ा। 📞 पहला फोन, पहला रोमांच लैंडलाइन फोन का इंतज़ार महीनों चलता था। पीली डायरी में नंबर लिखे जाते थे। STD बूथ से बात करने में टाइमिंग और पैसे दोनों गिने जाते थे। 🕹️ गेमिंग की शुरुआत वीडियो गेम पार्लर में Mario, Contra, Road Fighter खेलना एक इवेंट होता था। टीवी से जोड़े जाने वाले 9999 in 1 गेम कंसोल्स का ज़माना आया। अंताक्षरी और लूडो अब भी परिवार के फेवरिट थे। 📀 कैसेट्स, रिकॉर्डर और Walkman “T-Series” की कैसेट्स हर दुकान पर मिलती थीं। म्यूजिक को rewind करना और Walkman में सुनना — असली luxury था। गानों की रिकॉर्डिंग के लिए Sunday को रेडियो पर बैठकर इंतज़ार करना। 📚 स्कूल का दौर यूनिफॉर्म सिलाई वाले टेलर से बनवाते थे। स्कूल बैग में टिफिन, पानी की बोतल, और "कवर की गई किताबें"। कंप्यू...

📸 1950 से 1960 की पीढ़ी — जो इतिहास की साक्षी रही…

 📸 1950 से 1960 की पीढ़ी — जो इतिहास की साक्षी रही 📜 आपने आज़ादी के बाद भारत को बनते देखा नया संविधान, नया देश, नई उम्मीदें। रेडियो पर नेहरू की आवाज़ सुनी, और पहले चुनावों में वोट भी डाला। भारत को सिर्फ देखा नहीं — अपने हाथों से गढ़ा। 🪔 जीवन था सरल, पर आत्मनिर्भर कपड़े सिलते थे घर पर — माँ के हाथों से। बर्तन मिट्टी के होते थे, और खाना चूल्हे पर बनता था। बिजली गाँव-गाँव में नहीं पहुँची थी — लालटेन और दिया ही रोशनी थे। 📻 मनोरंजन था, पर अपने तरीके का रेडियो पर बिनाका गीतमाला, हवामहल, और समाचार। अखबार घर के एक सदस्य से सब पढ़ते थे। नाटक, नौटंकी, लोकगीत — यही थे 'नेटफ्लिक्स' उस दौर के। 🏠 घर छोटे थे, दिल बड़े एक ही कमरे में पूरा परिवार — दादा-दादी, चाचा-चाची सभी साथ। दरवाज़े पर ताला नहीं लगता था, क्योंकि भरोसा था। सुबह-सुबह भजन, दोपहर में खेत, और रात को किस्से — यही दिनचर्या थी। 🧒🏻 बच्चों का बचपन मिट्टी से जुड़ा था लकड़ी की गाड़ी, मिट्टी के खिलौने, गुलेल और कंचे। स्कूल पैदल जाते थे, बस्ता कपड़े का होता था। दोपहर की गर्मी में पेड़ की छांव और शाम को लुका-छुपी। 🥣 खाना शुद्ध, देस...

📸 1960 से 1980 के बीच जन्मी पीढ़ी के नाम…

 📸 1960 से 1980 के बीच जन्मी पीढ़ी के नाम… आपने सिर्फ बदलाव को देखा नहीं — उसे पूरे आत्मविश्वास से अपनाया। यह आपकी कहानी है। एक ऐसी पीढ़ी को सलाम, जिसने सच में ज़िंदगी जी। 📸 आपने बदलाव को जिया स्याही वाले पेन से लेकर स्मार्टफोन तक, पोस्टकार्ड से वीडियो कॉल तक, नंगे पाँव खेलों से कार की सवारी तक — आपने सब कुछ देखा, और सब कुछ अपनाया। 📸 बचपन था असली कुकर की रिंग्स और माचिस की तीलियों से खेलना, कच्चे आम तोड़ कर खाना बिना डर के, साइकिल पर दो-तीन लोग बैठ कर जाना... खुशियाँ सरल थीं। और मुफ्त। 📸 पड़ोस = परिवार न निमंत्रण, न औपचारिकता। बस किसी के घर चले जाओ — खाना भी मिलेगा, डाँट भी — जैसे अपने घर में। और कभी अजीब नहीं लगा। 📸 ब्रेकिंग न्यूज़? "तेरे पापा स्कूल आए हैं — भाग!" अगर कोई दोस्त दो दिन स्कूल नहीं आया, तो उसके घर कोई बैग लेकर पहुँच जाता था। ऐसी थी दोस्ती। 📸 आइकॉन्स और आइडल्स कपिल, गावस्कर, स्टीफी ग्राफ, सैम्प्रास को चीयर किया, अमिताभ, राजेश खन्ना, माधुरी, SRK पर दिल हार बैठे। वीसीआर पर किराए की कैसेट्स — एक साथ 5 फिल्में! मनोरंजन का असली स्वाद आपने चखा। 📸 अनुशासन और सम्...

ज्ञान और अनुभव के अनुसार अपने पेशे को चुनना चाहिये

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 ज्ञान और अनुभव को विरोधियों के रूप में देखने के बजाय, उनके सहजीवी संबंध को समझना महत्वपूर्ण है। 📝जब नौकरी खोजने की बात आती है, तो कई नियोक्ता (employers) ऐसे उम्मीदवारों की तलाश करते हैं जो ज्ञान और अनुभव के बीच सही संतुलन रखते हों। ➡️सीखने की प्यास प्रदर्शित करना और उद्योग के रुझानों के साथ अपडेट रहना अनुकूलनशीलता और विकास की क्षमता को दर्शाता है। ✍️साथ ही, व्यावहारिक अनुभव और सफलता की कहानियों का प्रदर्शन संगठन के लिए ज्ञान को वास्तविक मूल्य में अनुवाद करने की आपकी क्षमता को उजागर करता है। ➡️ज्ञान हमारी क्षमताओं के आधार के रूप में कार्य करता है। यह शिक्षा, प्रशिक्षण और निरंतर सीखने के माध्यम से प्राप्त जानकारी, कौशल और अंतर्दृष्टि का संचय है। 📝आज की तेज़-तर्रार दुनिया में, अपने-अपने क्षेत्रों में नवीनतम रुझानों और प्रगति से अपडेट रहना पहले से कहीं अधिक महत्वपूर्ण है। ➡️अनुभव ज्ञान को वास्तविक दुनिया की स्थितियों में काम में लाने का परिणाम है। यह सफलताओं और असफलताओं दोनों से सीखे गए पाठों का संग्रह है, जो हमें अनुभवी पेशेवरों में आकार देता है। 📌आप अपने जीवन और करियर में ज्ञान ...

नौकरी मे संतुष्टी

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Karma Says No one is permanent Everyone comes for a particular period of time So enjoy that phase of life and Move On  नौकरी से संतुष्टि होना यह बात शब्दकोश से हटाने की जरूरत है क्योंकि ऐसा कुछ भी कहीं मौजूद नहीं है. आप अपना साधा-सुखी जीवन निर्वाह करने के लिए नौकरी करते हैं। संतुष्टि आपको तभी मिलेगी जब आप नौकरी से बाहर कुछ करते हैं. वह सेवा देने के उपरान्त की गई गतिविधि है. सेवा कार्य याने आप समाज सेवा या किसी भी सामाजिक कार्य मे खुद को अर्पण करा देणा यही एक समझदार तारीक है जिस मे आप खुद को निरंतर जिवित रख सकते हो। स्वयं को किसी सेवा कार्य में संलग्न करें। इससे आपको अत्यधिक संतुष्टि मिलेगी ईस से आप आनंद की स्थिति मे रहोगे तथा तनाव से मुक्त हों जाओगे  आप इसे पसंद करने लगोगे। आप का किया जाने वाला कार्य  यह सब मन की स्थिति पर निर्भर करता है। ऊदारहन के तौर पे आप आपके नौकरी मे खुद को बहुत व्यस्त रखणा पसंद करते हो मगर क्या खुद को व्यस्त राखणा ईस का मतलब आप दिन भर सही दिशा कार्य कर रहे है ऐसा नहीं है बहोत लोगो को लागता है की अगर हमबहोत दौड धूप करेंगे या लोगो को बिज़ी दिखाये...

सफलता पाने के लिये हमेशा सीधी राह नहीं होती 💯

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 सफलता पाने के लिये हमेशा सीधी राह नहीं होती  सफलता एक घुमावदार सड़क है, जो उतार-चढ़ाव, बाधाओं और अप्रत्याशित चुनौतियों से भरी है। सफलता की खोज के लिए लचीलेपन, धैर्य और जीवन द्वारा प्रस्तुत बदलते परिदृश्यों के अनुकूल ढलने की इच्छा की आवश्यकता होती है। किसी भी महान साहसिक कार्य की तरह, रास्ते में आने वाली कठिनाइयाँ ही व्यक्तियों को स्वयं के मजबूत, बुद्धिमान संस्करण में ढालती हैं। एक शिक्षक के रूप में विफलता और विकास के अवसरों के रूप में असफलताओं को स्वीकार करते हुए, जो लोग कठिन यात्रा के बीच भी दृढ़ रहते हैं और अपना ध्यान केंद्रित रखते हैं, वे ही अंततः सफलता के शिखर पर पहुंचते हैं। सड़क चिकनी नहीं हो सकती है, और हमेशा घर से निकलने के बाद आपको सिग्नल ग्रीन नहीं मिल सकते है हर बार राह मे संदेह या अनिश्चितता के क्षण होना निश्चित हैं, लेकिन कठिन इलाकों से गुजरने और अपनी आकांक्षाओं के प्रति सच्चे रहने से सफलता का एहसास और भी अधिक फायदेमंद हो जाता है। वास्तव में, यह यात्रा की अंतर्निहित अप्रत्याशितता है जो सफलता को इतना संतुष्टिदायक, सरल और संजोने लायक बनाती है। सफलता पाने के लिये कठ...

वह व्यक्ति बनें जो आप बनना चाहते हैं; ये महान स्व-सहायता युक्तियाँ हैं!

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 वह व्यक्ति बनें जो आप बनना चाहते हैं; ये महान स्व-सहायता युक्तियाँ हैं! यदि आप व्यक्तिगत रूप से आगे बढ़ने के बारे में सोचने में परेशानी महसूस कर रहे हैं, तो एक सलाहकार की तलाश करें और सीखने पर ध्यान केंद्रित करें जो आपको अपनी अप्रयुक्त क्षमता तक पहुंचने के लिए अनलॉक कर देगा। हमेशा सकारात्मक मानसिकता रखें और याद रखें कि जितना अधिक आप जानेंगे, आपके पास व्यक्तिगत विकास की उतनी ही बेहतर संभावनाएँ होंगी, इसलिए इन महान स्व-सहायता युक्तियों को देखें और विचार करें कि कौन सी युक्तियाँ आप पर और आपके व्यक्तिगत विकास लक्ष्यों पर लागू होती हैं। 1. अक्सर खुशी का दुश्मन तनाव होता है। तनाव महसूस करना आपके मूड और आपके शरीर को प्रभावित कर सकता है। यदि हम अपने लक्ष्यों की ओर शांति से और व्यवस्थित ढंग से स्पष्ट दिमाग से काम करना चाहते हैं, तो हमें अपने दिमाग के अंदर के तनाव को खत्म करना होगा। हर दिन आराम करने, अपना दिमाग साफ़ करने और अकेले रहने के लिए एक समय निर्धारित करें। आंतरिक शांति और आत्म-आश्वासन के लिए शांत, ताज़ा दिमाग आवश्यक है। 2. किसी भी समय या स्थान पर आपके पास मौजूद किसी भी विचार को लिखन...

डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया आणि स्मार्ट सिटी

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डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया आणि स्मार्ट सिटी या सांबंधी बरेच काही बोलले जात आहे. तंत्रज्ञानातील नव्या अविष्कारामुळे डिजिटल परिवर्तन वेगाने होत आहे. हे परिवर्तन आपणा सर्वांना मोठ मोठ्या नामांकित कंपन्या पासून तर घरा पर्यंत दिसत आहे. जन्म  नोंदणीदाखल्या पासून तर मृत्यू दाखल्यातील जीवन प्रवासा पर्यंत सर्वीच कामे जसे की रेल्वे आरक्षण, बँकिंग प्रणाली, मुद्रांक नोंदणी, नौकरी आवेदन, शॉपिंग आणि बरेच काही या तंत्रज्ञानाच्या माध्यमातून केली जात आहे.  पुढील जीवनात या पेक्ष्या अधिक किचकट कामे या प्रणाली द्वारा करण्यात येतील. तर काय या सर्वे प्रणाली चे उपभोग आपणा घेणे आणिवार्य झाले आहे. या सर्व डिजिटल क्रांती पुढील आव्हानान यशस्वीरीत्या समोर जान्या करीता आपल्याला डिजिटल साक्षर होणे फार गरजेचे आहे. आपण तक्रार करतो की आपणास चांगली नौकरी मिळत नाही आणि कंपनी वाले म्हणतात की त्यांना चांगले उमिदवार मिळत नाही, या मागे नक्की कारण कै आहे. डिजिटल परिवर्तन म्हणजे काय? आधूनिकते नुसार कंपन्या मध्ये काय बदल घडवून आणले जात आहे? कोणत्या प्रकारची नोकरी उपलब्ध आहे? त्या करीता कोणते कौशल्य गुण असणे आवश्यक आ...

CV Correction

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  CHECKPOINTS CV Correction General ·         Grammatical errors ·         Spelling errors ·         Punctuation errors ·         Unnecessary use of capital letters ·         Capital letters to be used for names ·         Avoid the usage of words like I, my, myself… ·         Page border ·    Common font size and style to be followed-Times New Roman-14 for headings and 12 for the basic font ·         Proper alignment and spacing ·         Curriculum Vitae heading not to be put in the resumes ·         Headings should be as per the details provided ·         Only headin...

कोरोना वर्ष T-20 - T-21

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कोरोना  वर्ष  T-20 -  T-21   संबंध मानवजातीला २०२१ हे वर्ष सूख,समाधानाचं जाओ...               खरं तर हा लेख लिहिताना माझा हात थरथरत होता. कारण या २०२० वर्षाने माझे मिञ, मैत्रीणी नातेवाइकांना मी गमावल आणि दुःख या गोष्टीचं आहॆ  कि त्यांच मला अंतिम दर्शन सुद्धा बघायला मिळालं नाही. फार कठिन वेळ होती ती परत कधी ना यावी तसेच गरीबांनवर असली पायपीट करण्याची वेळ येऊ नये  गेलेली नौकरी परत मीळाली पाहीजे  तसेच कापल्या गेलेला पगार परत मीळावा याच आशेचा सहारा घेऊन नवीन  वर्षा त  आज आपन पदारपन करत असतांना आपण सर्वच जण कोरोनाच्या दहशतीत जगतोय. दिवसागणिक वाढत जाणाऱ्या आकडेवारीनं काळजात धस्स होतंय. अनेकांनी आपली जीवलग माणसं गमावली. अनेकांचे जीवलग कोरोनाशी झुंज देत आहेत. कोरोनाने आम्हाला शिकवले की,   आपल्या गरजा खूप कमी असतात. अशा अनेक गोष्टी आहेत की, त्या नसल्या तरीही आपण त्याशिवाय जगू शकतो. अनावश्यक गरजा ओळखायला शिका आणि त्यांच्या सवयी टाळा. कितीही बलाढ्य देश असू देत. आधुनिक शस्त्रास्त्रे असू देत.   त्यांच्याकडे मिझ...