विडंबनात्मक पदवीधारक
विडंबनात्मक पदवीधारक
डिसेम्बर 2019 को अचानक ऐक खबर सुनी "कोरोना" नामक एक बीमारी चीन के वुहान शहर मे तबाही मचा रही है। तथा वो बीमारी ला-ईलाज है, ऊसका सक्रमन ईस कदर फैल रहा है के कुछ दिनों के बाद भारत में शामिल होंने वाली है। हर तरफ डर का माहोल, नया शब्द सुनने को मीला "लॉक-डाउन" जो जो बाते न्यूज मे बताई जा रही थी वो सब सच हो रही थी, ओर क्या था "कोरोना" का सक्रमन भारत मे शुरु हुवा साथ ही साथ पुरे भारत मे लॉक-डाउन भी लगा दिया गया। कोई कीसी से मीलेगा नही, कोई कही जायेगा नही, तथा किसी को कोरोना हुवा तो पुरे परिवार को कॉरनटाईन किया जाने लगा। कोरोना सक्रमीत व्यक्ति को संवेदनशील कॉरनटाईन सेन्टर ले जाके रखा गया। बहोत ही भयानक समय था।
समय बिताता गया मगर साख ही साथ ऐक ओर बडी मुश्किल सामने आने लगी वो थी "बेरोजगारी", जीहा ऐसे समय जॉब करने वाले सभी रोजगार व्यक्ति को अपना जॉब जाते हुवे दिखाई दिया। रोज़दार व्यक्ति अपने जीवन की कठिन परिश्रम से गुजरने लगे। अपनी मंजिल को पाने के लिये सभी लोग अपने गाव जो सुविधा मिली ऊसके सहारे जाने लगे। कोई तो मीलो दुर पैदल परिवार के साथ चले गए।
समय का फेर देखीये, जो व्यक्ति अपनी कमाई की पुरी पुंन्जी आने वाले जीवन के लीऐ संभाल के रखना चाहता है वो भी खाली होने लगी। जो व्यक्ति जहा जॉब कर रहा है वही कैसे भी हो खुद को संभाल के रखना चहता था। ईसी बात का गैर-फायदा संस्थानों के उच्चस्तरीय व्यक्तियोंने लिया तथा सभी नौकरी-पेशा व्यक्तियोंके पगारमे कटौती करने का आदेश लिया गया। कटौती की बात का आदेश कीतने महीने के लीये है तथा कितने दीनो बाद कटौति किये गये पैसे वापस दिये जायेगे ईसका कोई अनुमान नही दिया गया। जो व्यक्ति, अपनी वीद्दवत्ता के अनुसार पगार मे बढोत्तरी चाहता है ऊसको भी ऊसकी वीद्दवत्ता के अनुसार बढ़ोतरी नही दी जा रही है। सरकार का ईसी मुद्दे पर ध्यान आकर्षित किया नही जा रहा है के, संस्थानों मे वीद्दवत्ता के अनुसार से पगार दिया जा रहा है या नही, तथा आपको दीये गये पद के अनुसार आप को सरकार के नियमों के अनुसार पगार मिलता है या नही। मगर कटौती कैसे की जाये ये ज़रूरी देखा जा रहा है।
ईसी समय, कुछ दीनो मे होने वाली पदवीधर मतदान को ध्यान मे रखते हुए क्या यह ऊचीत है के जो पदवीधर, ऊच्च व्यक्तियों को आज ऊनके वीद्दवत्ता के हिसाब से पदोन्नति तथा वेतन जीया नही जा रहा है। ऊनकी योग्यतानुसार ईनके किये गये किसी भी निवेदनपत्रको ध्यानमे नही रखा जाता तथा ईनके हात मे आने वाली वेतन सही मायने मे दी जा रही है या नही, यह भी तथ्य सामने नही आरहा है।
केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार, या फिर संस्थानों का कोई भी ऊच्च व्यक्ति आज कल Digital India, Smart India Hackathon, तथा आने वाली सभी आधुनिक तंञयुगो को लेकर अपने विचार प्रगट करते है, मगर हर साल वेतन बढ़ोतरी Automatic करने के लीये कोई आधुनिक तकनीक नही देते। तंञयुगो का सही ईस्तमाल करने की सलाह दीजाती है, मगर ईन्ही विचारो कोअमल मे लाने के लिए तैयार क्यो नही है, क्यों पद्दोनती सरलता से नही होती, क्यों Software तकनीकोका वापर वेतन बढ़ोतरी मे किया जाता है।
आज वीद्दवत्ता तथा आचार्य पदवीधरको भी शर्मनाक वेतन मील रही है, तथा संस्थानों मे कुछ ऐसे नीचे दर्जेदार (झाडुपोछा मारने वाले), जीनकी खासी पहेचान, चापलुसी तथा जी-हुजूरी के द्वारा संस्थानों के उच्चस्तरीय व्यक्तियों के साथ है, वही आज, पदवीधर तथा आचार्य पदवीधरको का वेतन निश्चित कर रहे है।
कीतने भी निवेदनपत्र दिये ऊसका विकल्प ईनके पास कुछ नही है, तथा हम जैसे गरीबो को अपने जीवन की विडंबना के लिए रोनेकी नौबत आई है। बहोत समस्याओं से झुंझ रहे है आज कल के पदवीधर नौजवान, क्या यह देश की समस्या नही है। क्या ईस पे पहेले अमल होना जरूरी है।
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